आवास कर्मियों का संघर्ष रंग लाया, सरकार ने मानदेय बढ़ाने का दिया आश्वासन
अनिश्चितकालीन हड़ताल स्थगित, काम पर लौटे आवास कर्मी
दरभंगा , न्यूज़ मिथिला डेस्क। लंबे समय से मानदेय वृद्धि की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर डटे बिहार के ग्रामीण आवास कर्मियों का आंदोलन आखिरकार रंग लाया है। सरकार द्वारा सकारात्मक आश्वासन मिलने के बाद कर्मियों ने आंदोलन स्थगित कर काम पर लौटने का निर्णय लिया है।
राज्य ग्रामीण आवास कर्मी संघ के दरभंगा जिला अध्यक्ष राहुल पासवान ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया कि 16 सूत्री मांगों को लेकर पूरे राज्य के आवास कर्मी हड़ताल पर थे। विभागीय सचिव से हुई बातचीत में मानदेय वृद्धि को लेकर सकारात्मक रुख अपनाया गया, जिसके बाद सगासा समन्वय संघर्ष समिति के नेतृत्व में यह फैसला लिया गया।
पासवान ने बताया कि वर्ष 2014 से आवास कर्मियों का मानदेय नहीं बढ़ाया गया है, जबकि महंगाई लगातार बढ़ रही है। उन्होंने कहा, “हम वर्षों से उत्कृष्ट सेवा दे रहे हैं, बावजूद इसके न तो सम्मानजनक वेतन मिल रहा है और न ही सरकारी कर्मी का दर्जा। यह आंदोलन केवल शुरुआत है—यदि वादे पूरे नहीं होते हैं, तो 15 दिनों के भीतर हम निर्णायक आंदोलन की ओर बढ़ेंगे।”
जिला सचिव ब्रजमोहन कुमार चौपाल और जिला संरक्षक बच्चा बाबूलाल देव ने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि सरकार ने आश्वासनों को समय पर अमल में नहीं लाया, तो आंदोलन और भी उग्र रूप लेगा।
वहीं, मनोज पासवान ने कहा कि पंचायत जनप्रतिनिधियों और बिचौलियों द्वारा आवास कर्मियों का मानसिक उत्पीड़न किया जा रहा है। कई कर्मियों की सेवा अनुचित रूप से समाप्त कर दी गई है और फर्जी प्राथमिकी दर्ज कराई गई है। उन्होंने यह भी याद दिलाया कि मानवाधिकार आयोग द्वारा 29 दिसंबर 2021 को पारित आदेश के बावजूद अब तक कोई ठोस पहल नहीं हुई है। तीन-तीन जांच समितियाँ बनीं, लेकिन कोई परिणाम सामने नहीं आया।
सगासा के कोषाध्यक्ष मनीष कुमार सहित आलोक रंजन, आशीष सिंह, राकेश झा, उदय शंकर चौरसिया, पवन साह, शिव शंभू पासवान, अमरेश भास्कर, सैफुर रहमान, अनवर अली, अनिस कुमार, अमित कुमार, राज कुमार और मोहम्मद नेमतुल्लाह आदि कर्मियों ने सरकार की “फूट डालो और राज करो” नीति की आलोचना करते हुए कहा कि राज्य भर के आवास कर्मी एकजुट हैं और अगला आंदोलन निर्णायक होगा।
सभा में सैकड़ों कर्मियों की उपस्थिति ने यह स्पष्ट कर दिया कि अबकी बार केवल वादे नहीं, बल्कि सही और समयबद्ध क्रियान्वयन की ही स्वीकार्यता होगी।



