
न्यूज़ मिथिला डेस्क :

दरभंगा जिले के केवटी प्रखंड स्थित पीएम श्री जवाहर नवोदय विद्यालय, पचाढ़ी को लेकर आई ताज़ा जानकारी ने शिक्षा व्यवस्था और जनविश्वास दोनों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। सत्र 2026 के लिए छठी कक्षा में नामांकन हेतु जहाँ 4891 आवेदन मिलने की उम्मीद थी, वहाँ अब तक सिर्फ 357 आवेदन ही मिले हैं। यह अंतर कोई साधारण बात नहीं है।
इस गिरावट के पीछे क्या कारण है? क्या यह सिर्फ प्रचार-प्रसार की कमी है या लोगों के मन में कोई डर बैठ गया है? कुछ महीने पहले इसी विद्यालय के एक छात्र जतिन गौतम की संदिग्ध परिस्थिति में मौत हो गई थी। उस घटना ने जिले भर में हलचल मचा दी थी। उस पर जो चुप्पी साध ली गई, वह लोगों के मन में एक गहरा सवाल छोड़ गई। क्या हमारे बच्चे सुरक्षित हैं?
नवोदय विद्यालयों को देशभर में गुणवत्तापूर्ण और निःशुल्क आवासीय शिक्षा के लिए जाना जाता है। खासकर ग्रामीण इलाके के मेधावी बच्चों के लिए ये स्कूल उम्मीद की किरण होते हैं। लेकिन अगर किसी स्कूल में एक दुखद घटना हो और फिर उस पर कोई साफ़-सुथरी जांच न हो, तो लोगों का भरोसा डगमगाना लाज़मी है।
इस बार आवेदन प्रक्रिया को सरल किया गया है, ओबीसी, एससी, एसटी वर्ग के छात्रों से जाति प्रमाण-पत्र नहीं मांगा गया है, बालिकाओं के लिए 50 प्रतिशत सीटें आरक्षित की गई हैं। इसके बावजूद इतनी कम संख्या में आवेदन आना संकेत है कि मामला सिर्फ कागज़ों और विज्ञप्तियों से नहीं सुलझेगा।
अब वक़्त है कि प्रशासन इस पूरे मामले को गंभीरता से ले। जतिन की मौत की निष्पक्ष जांच हो, और उसके नतीजों को सार्वजनिक किया जाए। साथ ही, लोगों के बीच स्कूल की सुरक्षा व्यवस्था और पारदर्शिता को लेकर भरोसा बहाल किया जाए। क्योंकि एक बार अगर समाज का विश्वास टूट गया, तो उसे दोबारा जोड़ना आसान नहीं होता।
यह आंकड़ा सिर्फ एक संख्या नहीं, एक चेतावनी है। इसे समय रहते समझना होगा, वरना कल को कोई बच्चा नवोदय जाने का सपना भी नहीं देखेगा।
– निशान्त झा



