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डॉ गोपाल जी ठाकुर : मिथिला के उगना और संस्कृति के प्रहरी

न्यूज़ मिथिला / सोशल मीडिया डेस्क :

शुक्रवार को दरभंगा एयरपोर्ट पर जब देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी का पारंपरिक मिथिला रीति-रिवाजों से स्वागत हुआ, तब यह केवल एक औपचारिक स्वागत नहीं था, बल्कि यह मिथिला की सांस्कृतिक गरिमा और आत्मगौरव का जीवंत चित्रण था। “पाग, चादर और मखान माला ये केवल परंपरा नहीं, बल्कि आत्मगौरव की गूंज हैं, जो हर मैथिल के हृदय में बसती है।”

इस गौरवपूर्ण क्षण के पीछे जिनका सतत प्रयास और समर्पण रहा है, वे हैं दरभंगा के सांसद डॉ. गोपाल जी ठाकुर। आज जब राजनीति में क्षेत्रीयता की जगह केवल सत्ता की गणित हावी होती जा रही है, ऐसे में गोपाल जी ठाकुर जैसे प्रतिनिधि आशा की किरण बनकर उभरे हैं। वे मिथिला के जनमन की भाषा मैथिली को संसद से लेकर वैश्विक मंच तक पहुंचाने में जुटे हैं।

यह कोई साधारण प्रयास नहीं है। जहां अधिकतर सांसद दिल्ली पहुंचते ही अपने आवास से बाहर नहीं निकल पाते हैं, वहीं गोपाल जी ठाकुर अपने क्षेत्र से निरंतर संवाद बनाए रखते हैं और मिथिला की संस्कृति, भाषा और विरासत के संवर्धन में तन-मन से जुटे हैं। उन्होंने मिथिला को केवल शब्दों में नहीं, कार्यों में भी आत्मसात किया है।

ऐसे समय में जब भाषा और लोकसंस्कृति को हाशिए पर धकेला जा रहा है, गोपाल जी ठाकुर का यह प्रयास स्वागतयोग्य ही नहीं, अनुकरणीय भी है। उनके कार्यों में ‘सेवक भाव’ स्पष्ट दिखाई देता है’ ठीक वैसे ही जैसे महाकवि विद्यापति को उगना ने निःस्वार्थ सेवा की थी। गोपाल जी ठाकुर आज उसी उगना भावना के जीवंत प्रतीक बनते दिखते हैं, जो बिना स्वार्थ मिथिला की सेवा में लगे हैं।

दरभंगा एयरपोर्ट , आईटी पार्क , एम्स , रेलवे दोहरीकरण , विद्युतीकरण आदि विकास कार्यों से लेकर मखाना अनुसंधान केंद्र को राष्ट्रीय दर्जा दिलाने तक की पहल समेत कई कार्य जो उनके कार्यकाल की अनेक उपलब्धियाँ गिनाई जा सकती हैं।

यह समय है कि ऐसे प्रतिनिधियों को केवल चुनावी आंकड़ों से नहीं, उनके सांस्कृतिक योगदान से भी परखा जाए। गोपाल जी ठाकुर आज मैथिली समाज के लिए सिर्फ सांसद नहीं, एक सांस्कृतिक आंदोलन के संवाहक बन चुके हैं।

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