
दरभंगा | न्यूज मिथिला
दरभंगा के सीतायन पैलेस में आयोजित मिथिला समागम के पहले दिन मिथिला राज्य निर्माण को लेकर गंभीर विचार-विमर्श हुआ। कार्यक्रम में भाग लेने वाले वक्ताओं ने कहा कि जब तक राजनीतिक अधिकार सम्पन्नता हासिल नहीं होगी, तब तक मिथिला राज्य की मांग को व्यवहारिक बल नहीं मिल सकता।
वक्ताओं ने कहा कि मिथिला राज्य आंदोलन को धार देने के लिए संगठनों, दलों और आंदोलनी कार्यकर्ताओं को एक मंच पर आना होगा। उन्होंने इस बात पर चिंता व्यक्त की कि आज विधानसभा और संसद में मिथिला की आवाज़ उठाने वाला कोई सशक्त प्रतिनिधि नहीं है। जब तक हम चुनाव में एकजुट होकर अपने उम्मीदवारों को भेजने में सफल नहीं होंगे, तब तक यह आंदोलन सिर्फ नारों और मंचों तक सीमित रह जाएगा।
राजनीतिक एकता और सांगठनिक गठबंधन पर जोर देते हुए वक्ताओं ने कहा कि यदि मिथिला समर्थक दल और संगठन आपसी मतभेद छोड़कर एक मंच पर आ जाएं, तो विधानसभा और संसद में मिथिला समर्थक उम्मीदवारों की जीत आसान हो सकती है। वक्ताओं ने मिथिला के नाम पर गठित राजनीतिक दलों के सक्रिय और ठोस गठबंधन को एक समुचित राजनीतिक विकल्प बताया।
कार्यक्रम को उमाकांत झा बख़्शी, कमलेश झा, मिथिला आंदोलनी मनोज झा, राम विनोद झा, उमेश चंद्र भारती, रत्नेश्वर झा, आशीष कुमार मिश्र, सुजीत चौधरी, अविनाश भारद्वाज, विद्याभूषण, गोपाल चौधरी और मीनू पाठक ने संबोधित किया।
मंच का संचालन चक्रधर झा ने किया।
कार्यक्रम के दौरान समवेत स्वर में यह संकल्प दोहराया गया कि मिथिला राज्य की मांग केवल सांस्कृतिक नहीं, बल्कि राजनीतिक आंदोलन है, जिसे अब निर्णायक मोड़ पर ले जाने के लिए संगठित और चुनावी रणनीति की आवश्यकता है।



