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पश्चिमी कोसी नहर परियोजना को मिली ऐतिहासिक मंजूरी, संजय कुमार झा के प्रयास से मिथिला में आएगा कृषि क्रांति

न्यूज़ मिथिला डेस्क / निशान्त झा :

बिहार सरकार द्वारा पश्चिमी कोसी नहर परियोजना को विस्तारीकरण, पुनर्स्थापन और आधुनिकीकरण के लिए 8678.29 करोड़ रुपये की प्रशासनिक स्वीकृति प्रदान करना मिथिला क्षेत्र, विशेष रूप से मधुबनी और दरभंगा जिलों के लिए ऐतिहासिक क्षण है। यह परियोजना दशकों से लंबित थी और इसकी उपेक्षा ने क्षेत्र के लाखों किसानों को सिंचाई के लिए वर्षा और कुओं पर निर्भर रहने को विवश किया था।

इस महत्वाकांक्षी योजना को पुनर्जीवित करने और उसे स्वीकृति दिलाने में जदयू के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं राज्यसभा सांसद श्री संजय कुमार झा की भूमिका निर्णायक रही है। जब उन्हें जल संसाधन मंत्री के रूप में कार्य करने का अवसर मिला, तब उन्होंने न केवल परियोजना की मृतप्राय संरचनाओं को चिन्हित किया बल्कि उनके पुनर्स्थापन हेतु ठोस रणनीति तैयार की। वर्ष 2020 में 735 करोड़ रुपये की लागत से प्रारंभिक कार्य आरंभ हुआ, जिससे दोनों जिलों की कई पंचायतों में वर्षों बाद नहर का पानी पहुँचा।

श्री झा का प्रयास यहीं तक सीमित नहीं रहा। उन्होंने केंद्र सरकार से भी इस परियोजना के लिए वित्तीय सहयोग की माँग की। नवंबर 2024 में जब केंद्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण मिथिला दौरे पर आईं, तब श्री झा की पहल पर जल संसाधन विभाग द्वारा उन्हें इस परियोजना की विस्तृत जानकारी दी गई। परिणामस्वरूप, 2025 के केंद्रीय बजट में मिथिला को बाढ़ सुरक्षा योजनाओं के साथ-साथ पश्चिमी कोसी नहर परियोजना के लिए वित्तीय सहयोग की घोषणा की गई। यह श्री झा के अथक परिश्रम का ही फल है कि आज यह सपना साकार होने की दिशा में बढ़ा है।

परियोजना के अंतर्गत कुल 741 किलोमीटर नहरों की पक्कीकरण (लाइनिंग) की जाएगी, जिससे रबी और खरीफ दोनों फसल सीजन में सिंचाई की सुविधा उपलब्ध होगी। यह योजना 2.91 लाख हेक्टेयर भूमि को सिंचाई सुविधा प्रदान करेगी। साथ ही नहरों के किनारे 338 किलोमीटर सड़क का निर्माण कराया जाएगा, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में आवागमन आसान होगा।

दरभंगा जिले के 16 और मधुबनी जिले के 20 प्रखंडों के लगभग 24 लाख लोग इस योजना से लाभान्वित होंगे। इन इलाकों में वर्षों से रुकी हुई कृषि विकास की गति को यह परियोजना नया जीवन देगी। साथ ही 990 नई संरचनाओं का निर्माण और 763 संरचनाओं की मरम्मति की जाएगी, जिसमें पुल, रेगुलेटर, क्रॉस ड्रेनेज स्ट्रक्चर, फॉल्स आदि शामिल हैं। इससे जल प्रबंधन और बाढ़ नियंत्रण की दिशा में भी बड़ा सुधार होगा।

यह योजना केवल एक तकनीकी परियोजना नहीं, बल्कि मिथिला की खेती, किसान और गांवों के जीवन में नई चेतना लाने वाली परिवर्तनकारी योजना है। श्री संजय कुमार झा ने जिस प्रतिबद्धता, योजना और संवेदनशीलता के साथ इस कार्य को आगे बढ़ाया है, वह प्रशंसनीय है।

अब जबकि बिहार सरकार ने इसे अपनी स्वीकृति प्रदान कर दी है, यह उम्मीद की जा रही है कि मार्च 2029 तक यह परियोजना पूर्ण हो जाएगी और मिथिला में हरित क्रांति की नींव मजबूती से स्थापित होगी।

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