
दरभंगा / न्यूज़ मिथिला डेस्क : भीषण जल संकट से जूझ रहे दरभंगा में सोमवार को महागठबंधन के बैनर तले समाहरणालय का घेराव किया गया। राजद, कांग्रेस और वाम दलों के सैकड़ों कार्यकर्ताओं और नेताओं ने एकजुट होकर जल संकट को लेकर सरकार और स्थानीय प्रशासन के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया।

प्रदर्शनकारियों का कहना था कि जिले में पीने के पानी की स्थिति भयावह हो चुकी है। ग्रामीण इलाकों के साथ-साथ शहर के कई मोहल्लों में हैंडपंप सूख चुके हैं, सरकारी टंकियों में पानी नहीं है, और लोग रोज़ाना पानी के लिए भटकने को मजबूर हैं।

प्रदर्शन के दौरान पूर्व केंद्रीय मंत्री मो. अली अशरफ फातमी ने कहा,
“मिथिलांचल समेत पूरे बिहार में पेयजल की कमी और सिंचाई संकट एक गंभीर समस्या बन चुकी है। सरकार और स्थानीय प्रशासन द्वारा जल संसाधनों का उचित प्रबंधन नहीं होने के कारण जल संकट लगातार गहराता जा रहा है। इसी समस्या के निवारण हेतु हमने समाहरणालय का घेराव कर सरकार और अधिकारियों से अविलंब कार्रवाई की मांग की है।”
वहीं, कांग्रेस नेता माधव झा ने कहा,
“चुनाव के समय भाजपा नेता गांव-गांव जाकर वोट मांगते हैं, लेकिन आज जब जनता बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रही है, तब कोई भी जनप्रतिनिधि दिखाई नहीं दे रहा। दरभंगा की जनता के साथ यह विश्वासघात है। भाजपा का विकास अब सिर्फ पोस्टर और रैलियों तक सिमट कर रह गया है।”
प्रदर्शनकारियों ने याद दिलाया कि 24 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सभा दरभंगा के पवित्र स्थल ‘विदेश्वर स्थान’ पर आयोजित की गई थी। उस समय भाजपा के सांसद, विधायक, मंत्री, राज्यसभा सांसद, एमएलसी और तमाम पदाधिकारी गांव-गांव घूमकर सभा को सफल बनाने में लगे थे। लेकिन अब जब पूरा दरभंगा जल संकट से जूझ रहा है, तो कोई भी भाजपा नेता मैदान में नहीं दिख रहा है।
प्रदर्शन के दौरान ‘जल ही जीवन है’, ‘अब चुप नहीं बैठेंगे’, और ‘भाजपा जवाब दो’ जैसे नारों से माहौल गूंजता रहा। नेताओं ने चेतावनी दी कि यदि प्रशासन और सरकार ने जल्द कोई ठोस कदम नहीं उठाया, तो यह आंदोलन और व्यापक रूप लेगा।
प्रदर्शनकारियों ने यह भी कहा कि यह लड़ाई अब सिर्फ पानी की नहीं, बल्कि जवाबदेही की है। जनता सिर्फ सवाल नहीं पूछेगी, बल्कि जवाब लेगी भी।
जल संघर्ष अब दरभंगा की धरती पर सिर्फ एक नारा नहीं, बल्कि जन-आंदोलन की आवाज बन चुका है।



