दरभंगाबिहारराज्य

“पुरुष सूक्त: दर्शन और विज्ञान” विषय पर दरभंगा में राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित

वेदों का सार तत्व है पुरुष सूक्त, जिसमें छिपा है विज्ञान और अध्यात्म का समुच्चय

 

दरभंगा | 5 जुलाई 2025
ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग एवं डॉ. प्रभात दास फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में “पुरुष सूक्त: दर्शन और विज्ञान” विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन विश्वविद्यालय परिसर में किया गया। सेमिनार का उद्घाटन दीप प्रज्वलन से हुआ, जिसमें छत्तीसगढ़ से आई शिक्षिका दीपाली आर्या ने वैदिक मंत्रों का गायन किया।

वेदों का सार है पुरुष सूक्त: डॉ. विनय कुमार मिश्र
मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित कामेश्वर सिंह संस्कृत विश्वविद्यालय के पूर्व वेद विभागाध्यक्ष डॉ. विनय कुमार मिश्र ने कहा कि ऋग्वेद का पुरुष सूक्त वेदों का सार तत्व है। यह केवल आध्यात्मिक नहीं, बल्कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि पुरुषसूक्त से ही शांख्य दर्शन की प्रेरणा मिली और यह परम पुरुष सृष्टि का मूल कारण है।

गागर में सागर हैं पुरुष सूक्त के 16 मंत्र: डॉ. घनश्याम महतो
अध्यक्षीय संबोधन में डॉ. घनश्याम महतो ने कहा कि पुरुष सूक्त के 16 मंत्र गागर में सागर के समान हैं, जो हमेशा अध्ययन-अध्यापन योग्य हैं। इसमें वर्णित ज्ञान जीवन की एकता, समर्पण, त्याग और समाज-निर्माण की भावना को पुष्ट करता है।

संस्कृत और विज्ञान का संगम: डॉ. सुनील कुमार सिंह
भूगोल विभाग के डॉ. सुनील कुमार सिंह ने कहा कि ब्रह्मांड का केवल 25% ही हमारी आंखों से दिखता है, जबकि शेष अदृश्य है। संस्कृत साहित्य में वैज्ञानिक अवधारणाओं का भरपूर उल्लेख है, जिसे आधुनिक विज्ञान से जोड़ने की आवश्यकता है।

सेमिनार संयोजक ने बताया पुरुष सूक्त का बहुआयामी पक्ष
सेमिनार के संयोजक डॉ. आर.एन. चौरसिया ने कहा कि पुरुष सूक्त न केवल दर्शन और अध्यात्म का प्रतीक है, बल्कि इसमें ब्रह्मांडीय चेतना, समाज-रचना, यज्ञ की महिमा और त्याग की भावना समाहित है। यह सृष्टि के मूल तत्व और ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ की भावना को पुष्ट करता है।

वेदों में छिपा है विज्ञान: मुकेश झा
डॉ. प्रभात दास फाउंडेशन के सचिव मुकेश कुमार झा ने कहा कि हर वैदिक मंत्र में विज्ञान छिपा है। पुरुष सूक्त की 15 ऋचाएं अनुष्टुप और 16वीं त्रिष्टुप छंद में है, जिनका वैज्ञानिक विश्लेषण किया जाना चाहिए।

विद्वानों की रही उपस्थिति, प्रमाण पत्र दिए गए
संगोष्ठी में जेएनयू की छात्रा प्रेरणा नारायण, डॉ. सुजय पांडे, लोकवैद्य महेन्द्र लाल दास, सोनू कुमार, सुयश प्रत्यूष, डॉ. ममता स्नेही, डॉ. मोना शर्मा सहित कई वक्ताओं ने विचार व्यक्त किए। संचालन नीतू कुमारी ने किया और कार्यक्रम में शामिल 70 से अधिक प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र वितरित किए गए।

उपस्थित प्रमुख व्यक्ति:
डॉ. अशोक कुमार, डॉ. मंजरी खरे, प्रो. विनोदानंद झा, डॉ. संजीव कुमार साह, डॉ. प्रियंका राय, डॉ. रश्मि शिखा, डॉ. प्रेम कुमारी, रवि रंजन, अमित कुमार, कुंदन कुमार, रोहित ब्रह्मानंद, योगेन्द्र पासवान, कृष्ण कुमार भगत सहित कई विद्वान, शोधार्थी और छात्र उपस्थित रहे।

 

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