
देशमणि जगा रही देश भक्ति का भाव
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मैथिली के वरिष्ठ गीतकार और भारत निर्वाचन आयोग के दरभंगा जिला स्वीप आईकॉन मणिकांत झा रचित मणिशृंखला की 40वीं पुस्तक देशमणि मिथिला और मिथिला से बाहर रह रहे मैथिलों में देशभक्ति का भाव जगाने घर-घर में पहुंचने लगी है। शुक्रवार को दरभंगा एवं मधुबनी जिला के लदौर, नावानगर, अलीनगर, शुभंकरपुर, टटुआर, भवानीपुर, हरलाखी सहित अनेक गांवों में लोगों ने लागत मूल्य पर पुस्तक खरीद कर बच्चों के बीच बांटा। विदित हो कि मैथिली देशभक्ति गीतों के संग्रह देशमणि का लोकार्पण वृहस्पतिवार को विद्यापति सेवा संस्थान के सभागार में किया गया। मैथिली जगत के प्रसिद्ध कवि डा जयप्रकाश चौधरी जनक की अध्यक्षता में आयोजित लोकार्पण समारोह में साहित्य अकादमी में मैथिली के पूर्व प्रतिनिधि प्रो प्रेम मोहन मिश्र, मैथिली अकादमी के पूर्व अध्यक्ष पं कमला कांत झा, प्रसिद्ध शिशु रोग विशेषज्ञ डा ओमप्रकाश, प्रो रमेश झा, डा एडीएन सिंह, कवि धीरेन्द्र कुमार झा, वेदानंद मिश्रा, विष्णु कुमार झा, हीरेन्द्र कुमार झा सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पं कमला कांत झा ने कहा कि मणिशृंखला के पुस्तकों के रचनाकार मणिकांत झा की प्रतिभा बहुमुखी है और अपने रचना कर्म से उन्होंने काफी कम समय में ही इसे साबित कर दिखाया है। उनकी उन्नत सृजनशीलता का यह सबसे बड़ा प्रमाण है कि बहुत छोटे से कालखंड में मणि शृंखला अंतर्गत उनकी अद्यतन 40 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। प्रो प्रेम मोहन मिश्र ने कहा कि प्रस्तुत पुस्तक देशमणि संभवतः मैथिली में देशभक्ति गीतों पर केंद्रित पहली पुस्तक है। मणिकांत झा लिखित इस पुस्तक में देशभक्ति गीतों का सुंदर संकलन किया गया है, जो समाज में देश भक्ति का भाव संजोने में काफी उपयोगी साबित होगी। वेदानंद मिश्र ने अपने उद्बोधन में मणिकांत झा के रचना संसार को मिथिला की गौरवशाली संस्कृति का संवाहक बताया। प्रो रमेश झा ने कहा कि मणिकांत झा की रचनाओं में सहज एवं सरल शब्दों का प्रयोग उनकी विशेषता है। विष्णु कुमार झा ने कहा कि मणिकांत झा की रचना धर्मिता धार्मिक सद्भाव, सामाजिक समानता और सांस्कृतिक एकता को बढ़ावा देने के बाद इस पुस्तक के माध्यम से लोगों में देशभक्ति का भाव जगाने में सर्वथा सक्षम दिखता है। अध्यक्षीय संबोधन में डा जयप्रकाश चौधरी जनक ने कहा कि मणिशृंखला के माध्यम से मणिकांत झा की सृजनशीलता में भारतीय संस्कृति के विभिन्न पक्ष निरंतर निखरकर सामने आते रहे हैं, जबकि देशमणि में संकलित गीत हर भारतीय के मन मस्तिष्क पर देशभक्ति के भाव जगाने में सफल दिखती है। इसे देखकर सहज ही लगता है कि उनका यह संग्रह भी आम पाठकों को खूब आकर्षित और प्रभावित करेगा। मौके पर अपनी हास्य रचनाओं से उन्होंने लोगों को खूब गुदगुदाया।
मौके पर इस पुस्तक में संकलित गीतों को मैथिली मंच के स्थापित कलाकार डा ममता ठाकुर, डा सुषमा झा, दीपक कुमार झा, साकेत कुमार झा, जानकी ठाकुर, जया कुमारी, वीणा झा, प्रतिभा प्रीति, कल्याणी कुमारी, प्रतिभा स्मृति सहित अनेक कलाकारों ने पारंपरिक सुर ताल में सस्वर प्रस्तुति देकर उपस्थित जनसमूह को भाव विभोर कर दिया। संचालन करते हुए मणिकांत झा ने मणिशृंखला के सभी सुधी पाठकों के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित की। धन्यवाद ज्ञापन विनोद कुमार झा ने किया।कार्यक्रम में अमरनाथ चौधरी, प्रो विजय कांत झा, डा उदय कांत मिश्र, प्रो चंद्रशेखर झा बूढा भाई, प्रकाश कुमार चौधरी, अशोक चौधरी, देव कुमार चौधरी, अमरनाथ झा, डा गणेश कांत झा, रंजीत कुमार झा, गोपाल कुमार झा, विपिन राय, आशीष चौधरी, मुरारी मोहन, संतोष कुमार झा, गंधर्व कुमार झा, नीलम झा, वंदना कुमारी, अंजू कुमारी, भरोसा देवी, सुधा देवी, चित्रा झा, कंचना झा आदि की उल्लेखनीय उपस्थिति रही।




