संस्कृत विद्यालयों के लिए सहज व व्यावहारिक पाठ्यक्रम शीघ्र उपलब्ध होगा – मृत्युंजय झा

फोटो कैप्शन: पाठ्यक्रम निर्माण समिति की द्वितीय कार्यशाला को संबोधित करते बिहार संस्कृत शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष श्री मृत्युंजय कुमार झा।
संस्कृत विद्यालयों के लिए सहज व व्यावहारिक पाठ्यक्रम शीघ्र उपलब्ध होगा – मृत्युंजय झा
नैतिक शिक्षा में सदाचार पद्धति और व्यावसायिक शिक्षा में आयुर्वेद व कर्मकांड जैसे विषय होंगे शामिल
न्यूज़ मिथिला डेस्क, पटना : संस्कृत शिक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण पहल करते हुए बिहार संस्कृत शिक्षा बोर्ड ने अपने पाठ्यक्रम को संशोधित एवं संवर्धित रूप में लाने की प्रक्रिया तेज कर दी है। बोर्ड के अध्यक्ष मृत्युंजय कुमार झा की अध्यक्षता में शुक्रवार को पाठ्यक्रम निर्माण उपसमिति की त्रिदिवसीय द्वितीय कार्यशाला की शुरुआत हुई।
बोर्ड द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार यह कार्यशाला 1 से 3 अगस्त तक चलेगी, जिसमें कक्षा 1 से 10 तक के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के आलोक में नया पाठ्यक्रम तैयार किया जा रहा है। इससे पहले 11-12 जुलाई को पाठ्यक्रम का प्रारूप तैयार किया गया था।
कार्यशाला के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए बोर्ड अध्यक्ष श्री मृत्युंजय कुमार झा ने कहा कि “अब समय आ गया है कि संस्कृत विद्यालयों को एक ऐसा पाठ्यक्रम दिया जाए जो छात्रों के लिए सहज, उपयोगी एवं व्यवहारिक हो।” उन्होंने बताया कि अब तक 1985 के पुराने पाठ्यक्रम के आधार पर पढ़ाई हो रही थी, लेकिन बदलते समय की माँग को देखते हुए पाठ्यक्रम में व्यापक बदलाव आवश्यक हो गया था।
उन्होंने बताया कि संस्कृत विद्यालयों में शीघ्र ही संस्कृत भाषा में प्रार्थना की भी शुरुआत की जाएगी।
कार्यशाला में मौजूद विषय विशेषज्ञ डॉ. रामसेवक झा ने जानकारी दी कि “इस नए पाठ्यक्रम में बिहार के मूर्धन्य विद्वान पं. अम्बिकादत्त व्यास की प्रसिद्ध कृति शिवराजविजयम् को शामिल किया गया है। इसके अतिरिक्त नैतिक शिक्षा को बढ़ावा देने हेतु श्रीमद्भगवद्गीता तथा सदाचारपद्धति के अंशों को भी स्थान दिया गया है।”
पाठ्यक्रम में अनिवार्य विषयों के रूप में हिन्दी, अंग्रेज़ी एवं सामान्य विज्ञान को शामिल किया गया है, वहीं ऐच्छिक विषयों में पौरोहित्य (कर्मकांड), ज्योतिष, वास्तुशास्त्र, योग व शारीरिक शिक्षा, कंप्यूटर एवं आयुर्वेद जैसे विषय जोड़े गए हैं।
तीन दिवसीय इस कार्यशाला में पाठ्यक्रम निर्माण की प्रक्रिया विषयवार बिंदुओं पर गहन चर्चा के साथ चल रही है। इसमें संस्कृत विद्यालयों के अनुभवी शिक्षक, कॉलेज व विश्वविद्यालय के शिक्षाविद शामिल हैं।
पाठ्यक्रम निर्माण समिति में प्रो. श्रीपति त्रिपाठी, डॉ. रामसेवक झा, डॉ. विभूतिनाथ झा, पं. प्रजापति ठाकुर, निरंजन कुमार दीक्षित, चन्द्र किशोर कुमार तथा संयोजक अरुण कुमार झा प्रमुख सदस्य के रूप में उपस्थित हैं। कार्यशाला में सहयोगी रूप में भवनाथ झा एवं रूपेश कुमार सहित अन्य लोग भी सहभागी बने हुए हैं।



