
न्यूज़ मिथिला डेस्क/निशान्त झा:
बिहार में कुल 243 विधानसभा सीटें हैं, और इसी वर्ष अक्तूबर-नवंबर में विधानसभा चुनाव संभावित है।
एनडीए में सीटों के बंटवारे का फॉर्मूला लगभग तय हो गया है। सूत्रों के मुताबिक विधानसभा की 243 सीटों में जेडीयू और बीजेपी करीब-करीब बराबर सीटों पर लड़ेगी। जिसमें जदयू को 102 से 103 सीटों, और भाजपा को 101 से 102 सीटों देने प सहमति बनी है। वहीं एनडीए के अन्य सहयोगी दल चिराग पासवान की लोजपा (रामविलास) को 25 से 28 सीटें, जीतन राम मांझी की हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) को 6 से 7 और उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा को 4 से 5 सीटें देने का फॉर्मूला सेट हुआ है। हालांकि इसकी अभी कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। लेकिन सूत्रों के हवाले से खबर कि एनडीए में सीट बंटवारे का फॉर्मूला तय हो गया है।
इन राजनीतिक हालातों में हायाघाट विधानसभा सीट को लेकर दावेदारी तय करने के लिए उम्मीदवारों की चहलकदमी अब जोरों पर है। सभी अपनी अपनी दावेदारी टिकट फाइनल करने के लिए एड़ी चोटी का जोड़ लगाए हुए हैं। ऐसे में भाजपा से कौन दावा ठोकते नजर आ रहे हैं और कौन संभावित उम्मीदवार हो सकते हैं, देखिए न्यूज़ मिथिला. कॉम की यह रिपोर्ट….
रामचंद्र प्रसाद हायाघाट विधानसभा में स्थानीय नेता के तौर पर जाने जाते हैं। वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव में हायाघाट सीट पर बीजेपी के टिकट पर जीत का परचम लहराया था। रामचंद्र प्रसाद 67 हजार 30 वोट लाकर पहले स्थान पर रहे थे तो आरजेडी कैंडिडेट भोला यादव 56 हजार सात सौ 78 वोट लाकर दूसरे स्थान पर रहे थे। इस तरह से रामचंद्र प्रसाद ने भोला यादव को 10 हजार दो सौ 52 वोट के मार्जिन से हराया था। मालूम हो कि डॉ. रामचंद्र प्रसाद की राजनीतिक जीवन की शुरुआत शुरू से ही व्यवसायिक जीवन के साथ-साथ वे हायाघाट जिलापरिषद क्षेत्र से 2011 से 2016 तक जिला परिषद सदस्य रह चुके हैं। बताते चलें कि वर्तमान विधायक की कार्यशैली से क्षेत्र की जनता नाराज़ चल रही है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक, क्षेत्र में किए काम और जनता में लोकप्रियता के आधार पर टिकट तय किए जाएंगे। भाजपा आलाकमान ये सर्वे कराएगा। आंतरिक सर्वे के आधार पर ही नए चेहरों को भी मौका मिलेगा।

अश्विनी यादव वर्तमान में भाजपा किसान मोर्चा के प्रदेश प्रवक्ता हैँ। हायाघाट में इनकी सक्रियता अधिक है। यादव समाज से आते हैं। पूंजीपति वर्ग में इनकी गिनती की जाती है। पटना दिल्ली का चक्कर और बड़े नेताओं के यहाँ दरबारी में लगे रहते हैं। चुनाव से पहले मिश्रीलाल यादव के जेल जाने के बाद से अलीनगर और हायाघाट की सीट अदला बदली हुई तो जातीय समीकरण के हिसाब से इनकी लॉटरी लग सकती है।

त्रिलोकनाथ राय: अतिपिछड़ा समाज से आते हैं। पूर्व में मंडल महामंत्री रहे हैं। जमीनी कार्यकर्ता के रुप में जाने जाते हैं। समाज में इनकी मजबूत पकड़ मानी जाती है।

पारसनाथ चौधरी की पहचान स्थानीय भाजपा ब्राह्मण नेता के तौर पर है। श्री चौधरी पूर्व में पार्टी के 2 टर्म जिला प्रवक्ता, 2 टर्म हायाघाट के मंडल अध्यक्ष रहे हैं और वर्तमान में जिला कार्यसमिति सदस्य हैं। इलाके में इनकी मजबूत पकड़ मानी जाती है।

नवीन चौधरी वर्तमान में पार्टी के जिला कार्यसमिति सदस्य हैं। हायाघाट में इनकी सक्रियता अधिक है। इससे पूर्व हायाघाट बीजेपी मंडल अध्यक्ष पद पर रहे हैं। ब्राह्मण समाज से आते हैं।

वैद्यनाथ चौधरी “बैजू” विद्यापति सेवा संस्थान के महासचिव हैँ। वर्तमान में भाजपा के सक्रिय सदस्य हैं। भाजपा की सभी बैठकों में इनकी शत प्रतिशत मौजूदगी रहती है। मिथिला मैथिली भाषा के लिए इन्होंने लगातार संघर्ष किया है। मैथिली और मिथिला में बड़े आन्दोलनी के रूप में इनकी पहचान है। कई विद्यालय और महाविद्यालय की स्थापना इन्होंने दरभंगा में करवाया है। विश्वविद्यालय में सीनेट सदस्य हैं। पुराने नेताओं से अच्छे संबंध हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ सीपी ठाकुर के बेहद करीबी माने जाते हैं। ब्राह्मण समाज से आते हैं। सभी जातियों में इनकी पकड़ मजबूत है। पार्टी अगर ब्राह्मण को टिकट दे तो वैद्यनाथ चौधरी के नाम पर विचार कर सकती है।

उदय शंकर चौधरी : पूर्व में ब्राह्मण फेडरेशन के प्रदेश अध्यक्ष रहे हैं। वर्तमान में भाजपा में सक्रिय हैं। दिशा कमिटी के सदस्य हैं। दरभंगा सांसद गोपाल जी ठाकुर के बेहद करीबी माने जाते हैं। इन्हीं के निजी भवन पर लोकसभा चुनाव में कार्यालय का सारा काम होता है। पूंजीपति वर्ग में इनका नाम है। सामाजिक कार्यों में बढ़चढ़कर हिस्सा लेते हैं। भाजपा के तरफ से इनकी दावेदारी भी मजबूत मानी जा रही है।

अब देखने वाली बात यह होगी कि हायाघाट सीट भाजपा के झोली में जाएगी या फिर चिराग पासवान के खाते में जाएगी या फिर जदयू के हिस्से में जाएगी यह तो भविष्य के गर्भ में है लेकिन वर्तमान विधायक की टिकट कटेगी या दोहराएगी इसको लेकर संशय की स्थिति बनी हुई है।