
दरभंगा : लोकप्रिय गायिका मैथिली ठाकुर इन दिनों मीडिया पर लगातार चर्चा और आलोचना का विषय बनी हुई हैं। उनके पिता रमेश ठाकुर के साथ उन्हें लेकर सोशल मीडिया पर टिप्पणियाँ और ट्रोलिंग देखी जा रही है।
कई लोगों का मानना है कि मैथिली ठाकुर अभी “बच्ची” हैं और उन्हें राजनीति की आलोचना से दूर रखा जाना चाहिए। हालांकि, राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि जब तक मैथिली ठाकुर केवल संगीत की दुनिया में थीं, तब तक किसी ने उनके निजी जीवन या कार्यशैली पर सवाल नहीं उठाए। उन्होंने अपनी कला और मेहनत से राष्ट्रीय पहचान बनाई और सम्मान अर्जित किया।
मगर जब वे अलीनगर विधानसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी की प्रत्याशी के रूप में चुनावी मैदान में उतरीं, तब से समीकरण बदल गए। स्थानीय भाजपा कार्यकर्ताओं में नाराजगी तब देखी गई जब पार्टी ने पुराने और सक्रिय कार्यकर्ताओं को दरकिनार कर मैथिली ठाकुर को टिकट दे दिया। कई कार्यकर्ताओं ने इसे अपने साथ अन्याय बताया।
यह विवाद ठंडा भी नहीं हुआ था कि मैथिली ठाकुर का “पाग को कटोरा की तरह इस्तेमाल कर उसमें मखान खाते हुए” एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया। इस वीडियो पर भी विभिन्न प्रतिक्रियाएं सामने आईं, कुछ ने इसे लोकसंस्कृति का अपमान बताया, तो कुछ ने इसे पाग जो कि मिथिला का सम्मान है का अपमानित करने का आरोप लगाया।
इसी बीच, उनके प्रचार में शामिल उत्तर प्रदेश के बलिया जिले की भाजपा विधायक केतकी सिंह ने विवाद को और बढ़ा दिया। उन्होंने कहा, “मिथिला का सम्मान पाग नहीं, मिथिला का सम्मान मैथिली ठाकुर हैं।”
यह बयान सोशल मीडिया पर व्यापक विरोध का कारण बना और कई स्थानीय लोगों ने इसे मिथिला की परंपराओं का अपमान बताया।
राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि मैथिली ठाकुर अब केवल कलाकार नहीं रहीं बल्कि वे अब जनता की प्रतिनिधि बनने की दावेदार हैं। ऐसे में उनसे सड़कों, स्वास्थ्य, शिक्षा और विकास जैसे मुद्दों पर गंभीरता से जवाब की अपेक्षा की जाएगी।
राजनीति में आने के बाद आलोचना और विरोध लोकतंत्र की स्वाभाविक प्रक्रिया है। मैथिली ठाकुर को अब इस नई भूमिका में परिपक्वता और संयम के साथ जनता की अपेक्षाओं पर खरा उतरना होगा।
— निशांत झा


